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लेखनी प्रतियोगिता -01-Sep-2022


जब आंखे निर्झर बहती हैं
मानवता भी कुछ कहती है

जब कोई निर्बल रोता है
आशा का सम्बल खोता है
विश्वास की नगरी ढहती है
मानवता तब कुछ कहती है।

जिसकी आशा पर भय भारी
जब पीड़ित हो कोई नारी
जब रोकर ठोकरें सहती है
तब मानवता क्या कहती है ।

जब कोई निर्धन भूखा हो
करके मजदूरी सूखा हो
जब दुनिया उसपर हंसती है
तब मानवता कुछ कहती है।

दैनिक प्रतियोगिता 1.9.22


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20 Comments

Seema Priyadarshini sahay

03-Sep-2022 03:13 PM

बेहतरीन

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Anshumandwivedi426

03-Sep-2022 04:03 PM

कोटिशः धन्यवाद

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Anshumandwivedi426

03-Sep-2022 04:02 PM

सादर धन्यवाद

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Ajay Tiwari

02-Sep-2022 02:58 PM

nice

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Anshumandwivedi426

03-Sep-2022 04:02 PM

सादर धन्यवाद

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